सोमवार, 15 मार्च 2021

अनुवादक बनाम योग्यता

इस तथ्य से सभी बखूबी परिचित हैं कि भारत में अनुवाद क्षेत्र अत्यंत पिछड़ा हुआ है। इसके अनेक कारण हैं। देश की सरकारों का अनुवाद के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया भी एक बड़ा कारण है। हम यह भी जानते हैं कि किसी उपाय से तत्क्षण कोई परिवर्तन नहीं लाया जा सकता। जब सामूहिक रूप से कोई कार्रवाई होना संभव नजर नहीं आ रहा हो तो हमें व्यक्तिगत स्तर पर किए जा सकने वाले उपायों के बारे में सोचना होगा।

हम यह कल्पना करके चलना चाहते हैं कि ‘अनुवादक’ का आशय पूर्णकालिक अनुवादक से है जिसकी आजीविका ही अनुवाद कार्य है। विदेशी अनुवादकों और हमारे देशी अनुवादकों के बीच एक भारी अंतर देखने को मिलता है। विशेषकर यूरोप और अमरीका में कोई भी पेशेवर अनुवादक जीवन पर्यंत अपना मूल्य-संवर्धन करता रहता है। अर्थात, सबसे पहले तो उन देशों में सामान्यतः बिना किसी तैयारी के कोई जल्दी से अनुवाद क्षेत्र में कदम नहीं रखता। एकाधिक भाषाओं में प्रवीणता रखने के साथ-साथ अनुवाद विषय में डिग्री या डिप्लोमा लेने के बाद ही वे लोग अनुवाद क्षेत्र में पदार्पण करते हैं। प्रारंभ में, कम से कम एक साल तक वे प्रशिक्षु के रूप में कार्य करते हैं, उसके बाद भी, कहीं अनुवादक के रूप में नौकरी करते हैं और साल दो साल नौकरी करने के बाद कहीं जाकर स्वतंत्र अनुवादक के रूप में अनुवाद क्षेत्र में उतरते हैं। एक बात और उल्लेखनीय है इन विदेशी अनुवादकों के बारे में कि अच्छे अनुवादक एक बार अपनी विशेषज्ञता का विषय चुन लेने के बाद उसी विषय में अनुवाद करते हैं। समय-समय पर सम्मेलनों, गोष्ठियों और वेबिनारों में भाग लेते हैं, तथा स्वयं को अनुवाद क्षेत्र में होने वाली हर गतिविधि से अद्यतित रखने का प्रयास करते हैं।

अब हम अपने देश में अनुवादकों की स्थिति पर नजर डालें तो पाएँगे कि लगभग सभी पक्षों- सरकारों, कंपनियों, एजेंसियों, संस्थाओं तथा व्यक्तियों की दृष्टि में अनुवाद एक महत्वहीन कार्य है। यहाँ एक मिथ्या धारणा घर कर चुकी है कि दो भाषाएँ जानने वाला कोई भी व्यक्ति अनुवाद कर सकता है। इस गलत धारणा के दायरे में हर पढ़ा-लिखा व्यक्ति आ जाता है। यदि हिंदी माध्यम से पढ़ाई की है तो अंग्रेजी पढ़ी ही होगी तथा यदि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की है तो हिंदी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ी होगी। इस प्रकार अनुवाद के संबंध में मूलभूत जानकारी न होते हुए भी हजारों लोग अनुवाद कार्य से जुड़ जाते हैं। आजकल तो अनेक शब्दकोश और मशीनी अनुवाद उपकरण ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से कामचलाऊ अनुवाद कर दिया जाता है। अनुवाद करवाने वाली संस्था या व्यक्ति का उद्देश्य भी एक भाषा के दस्तावेजों को दूसरी भाषा में उपलब्ध करवाना भर होता है (भले ही इस प्रकार तैयार हुए दस्तावेजों में भयंकर त्रुटियाँ हों)। हम आए दिन देश की उच्च स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले द्विभाषी प्रश्नपत्रों में ऐसे अनुवाद के नमूने देखते आ रहे हैं।

दोनों परिदृश्यों को प्रस्तुत करने के बाद, अब मैं एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर आप सब का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। यदि आप एक पेशेवर अनुवादक हैं तो अनुवाद आपकी आजीविका का साधन, आपकी रोजी-रोटी है। आपने अनुवाद क्षेत्र में कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है, कोई डिप्लोमा या डिग्री नहीं ली है। आप किसी विशेष विषय के विशेषज्ञ भी नहीं हैं, अतः आप एक निम्न अनुवाद दर पर अपना कार्य कर रहे हैं। अपने ही आस-पास कुछ अनुवादकों को ऊँची अनुवाद दरों पर कार्य करते देखते हैं तो आपके मन में कुंठा जन्म लेती है। आपको लगता है कि आप भी अनुवाद कर रहे हैं और वे थोड़े से लोग जो अच्छी दरें पा रहे हैं, वे भी अनुवाद ही करते हैं, फिर यह अंतर क्यों है?

मित्रो, जो कार्य आपकी आजीविका का साधन है, उसके प्रति संपूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है। स्वयं को उस कार्य के योग्य बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने होते हैं। जिन-जिन विषयों में आपको अनुवाद करना है, उन विषयों की अच्छी जानकारी प्राप्त करना भी जरूरी होता है। यहाँ मैं कुछ ऐसे उपायों का उल्लेख करना चाहता हूँ जिनसे आप एक कुशल अनुवादक बन कर, उतने ही श्रम में अधिक धनराशि अर्जित कर सकते हैं-

1. अनुवाद कार्य को अपनाने से पहले (अपना चुके हैं तो अब भी) स्वयं का आत्म-मूल्यांकन करें कि जिन दो भाषाओं का आप उपयोग करना चाहते हैं या कर रहे हैं, उन दोनों भाषाओं में आपकी दक्षता कितनी है। वाक्य-विन्यास, शब्द-भंडार, व्याकरणिक-ज्ञान, वर्तनी की शुद्धता आदि के मामले में आप कहाँ ठहरते हैं। स्वयं अपना मूल्यांकन न कर सकें, तो एक बार अपने लिखे हुए किसी लेख, अनुवाद आदि की जाँच उस भाषा के विशेषज्ञ से करवा लें और जो परिणाम सामने आए उसके अनुसार अपनी कमजोरियों को सुधारने का निरंतर प्रयास करें। यदि आवश्यकता हो तो उस भाषा के किसी वरिष्ठ शिक्षक या व्याख्याता से कुछ महीने ट्यूशन ले लें।

2. थोड़ा सा समय अध्ययन के लिए सुरक्षित रख लें। जिन विषयों की आपको कोई जानकारी नहीं है, उनमें से किसी भी विषय पर अनुवाद कार्य मिलने पर, इंटरनेट पर उस विषय से संबंधित सामग्री का अध्ययन करें, विकीपीडिया और भारत ज्ञानकोश में आपको हजारों विषयों पर आलेख मिल जाएँगे। आज आप इंटरनेट पर हर विषय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विषय की जानकारी लिए बिना अनुवाद न करें।

3. अनुवाद क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। “कंप्यूटर की सहायता से अनुवाद” के अनेक साधन उपलब्ध हैं जिन्हें CAT Tool कहा जाता है। यदि अभी तक आप केवल डॉक्यूमेंट फाइलों में ही अनुवाद करते आ रहे हैं, तो इन कंप्यूटर सहाय्यित अनुवाद साधनों का उपयोग करना भी सीख लें। एक बार प्रारंभ करने की देर है, बाद में तो आपको स्वयं अनुभव हो जाएगा कि ये साधन कितने उपयोगी हैं। वास्तव में इन साधनों में एक अंतर्निर्मित स्मृति होती है (जिसे ट्रांसलेशन मेमोरी होती है), जिसे आप सुविधा के लिए एक भंडार के रूप में समझ सकते हैं। आप जितना भी अनुवाद करते हैं, उसके स्रोत और अनुवाद दोनों इस मेमोरी में संग्रहित होते जाते हैं। अगली बार जब आपके सामने वही वाक्य या वाक्यांश आता है तो मेमोरी में से उसका अनुवाद अपने आप सामने आ जाता है। इस तरह से मेमोरी की सहायता से आपके अनुवाद करने की गति भी बढ़ जाती है और सटीकता भी। हर बार एक जैसा ही अनुवाद होगा, ऐसा नहीं होगा कि आप कहीं तो कोई शब्द लिख दें और कहीं कुछ और।

4. कंप्यूटर सहाय्यित अनुवाद साधनों में अधिक लोकप्रिय हैं- वर्डफास्ट, एसडीएल ट्राडोस स्टूडियो, मेमोक्यू, ईडियम वर्ल्डसर्वर, गूगल ट्रांसलेटर टूलकिट, मेटकैट आदि। इन सबके ट्यूटोरियल यूट्यूब पर वीडियो के रूप में उपलब्ध हैं जिन्हें देख कर आप स्वयं सीख सकते हैं। यूट्यूब पर ही मेमोरी का उपयोग करने के ट्यूटोरियल भी उपलब्ध हैं।

अनुवादकों के लिए ऑनलाइन अनेक मंच हैं जिनकी सदस्यता आपको लेनी चाहिए। इनमें से कुछ प्रमुख मंच हैं –प्रोज.कॉम, ट्रांलेटर्सकैफे.कॉम, ट्रांसलेशनडायरेक्ट्री.कॉम। इनके अलावा भी कई मंच हैं। इन मंचों पर अनुवाद कार्य पोस्ट किए जाते हैं, जिनके लिए अनुवादक अपनी-अपनी बोली लगाते हैं। ग्राहक को जिसकी बोली उचित लगती है, वह उसे ही उस कार्य को आवंटित कर देता है।

यदि आप इन उपायों को अपनाते हैं तो मुझे विश्वास है कि आपकी अनुवादक के रूप में योग्यता में वृद्धि तो होगी ही, साथ में आपकी आय भी बढ़ेगी। 

शुभमस्तु।

लेखक : विनोद शर्मा

बीएसएनएल में सेवारत रहते हुए 1991 में अंग्रेजी में एमए किया, लगातार 1993 में हिंदी में एमए किया फिर 1995 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से अनुवाद में पीजी डिप्लोमा किया। 1995 से 1997 तक शौकिया अनुवाद कार्य किया। जुलाई 1997 से विधिवत पेशेवर अनुवादक के रूप में कार्य शुरू किया, लेकिन विकीपीडिया, रोजेटा फाउंडेशन, ट्रांलेटर्स विदाउट बॉर्डर्स आदि के लिए स्वैच्छिक अनुवाद भी चलता रहा। 2005 से कैट टूल्स से परिचय हुआ। सबसे पहले एसडीएलएक्स, फिर वर्डफास्ट पर काम करना शुरू किया। उसके बाद तो अनुवाद यात्रा चलती रही। नए-नए टूल्स शामिल होते रहे, नए-नए विषयों और क्षेत्रों में, नए-नए फाइल प्रकारों से होते हुए ये सफर जो चला तो चलता ही रहा। 2010 से 2020 तक दबिगवर्ड कंपनी के लिए गूगल रिव्यूअर के रूप में नियमित कार्य किया।

An Engineer with a passion for languages went on to complete Masters both in English and Hindi in 1991 and 1993 respectively. He did not stop here, completed a PG Diploma in Translation from IGNOU in 1995. Started with amateur translation for Wikipedia, Rosseta Foundation and Translators without Borders. Turned professional in 1997 and never stopped. Started using CAT tools in 2005 with SDLX, Wordfast, Idiom and since then no looking back. Worked as Google Reviewer through thebigword from 2010 to 2020. Specialization in Medical, Legal and Technical fields. Working mostly with foreign companies only.