शुक्रवार, 13 मार्च 2015

इंटरनेट ने दिया हर किसी को कोशकार बनने का मौका

इंटरनेट के इस युग में शौकिया कोशकार बनना बहुत आसान हो गया है। अगर आपको कोशकारिता से लगाव है तो आप ऑनलाइन कोश में नए शब्द जोड़ सकते हैं। आप कुछ कोशों में शब्द की व्याकरणिक कोटि, लिंग आदि की जानकारी भी दे सकते हैं। आइए जानते हैं दो ऐसे अल्पज्ञात बहुभाषी कोशों के बारे में जिनमें हिंदी को भी शामिल किया गया है।

पहला कोश है बाबला। इसमें भाषाओं से संबंधित क्विज़, खेल आदि भी उपलब्ध हैं।  

दूसरे कोश का नाम है ग्लॉसबी। इस कोश में लगभग 7000 भाषाओं को शामिल किया गया है। ग्लॉसबी में प्राचीन यूनानी जैसी विलुप्त भाषा और एस्पेरांतो व इंटरलिंग्वा जैसी कृत्रिम भाषाओं के कोश भी शामिल हैं।

बाबला और ग्लॉसबी को हम तक पहुँचाने वाले लोगों की मातृभाषा न तो हिंदी है न अंग्रेज़ी। बाबला जर्मनी की वेबसाइट है और ग्लॉसबी पोलैंड की। आपको इन वेबसाइटों में हिंदी अनुवाद और वर्तनी से संबंधित कई ग़लतियाँ मिलेंगी। लेकिन इन ग़लतियों के बावजूद हमें इन कोशों से जुड़े लोगों की तारीफ़ करनी चाहिए। वे हमें बहुत-सी भाषाओं के कोश उपलब्ध करा रहे हैं। इस प्रयास में उन्हें संसाधनों और लोगों की कमी का भी सामना करना पड़ता है।

बाबला, ग्लॉसबी जैसी वेबसाइटों का एक बहुत बड़ा योगदान यह है कि इसने हमें कोशकारिता को समझने का मौका दिया है। इनके कारण कोशकारिता में दिलचस्पी पैदा हुई है। अगर संभव हो तो इन कोशों में नए शब्द जोड़ने का समय ज़रूर निकालें।