1. कारक चिह्न को संज्ञा से अलग और सर्वनाम से मिलाकर लिखें।
उदाहरण : राम ने, मोहन को, सीता से आदि (संज्ञा के संदर्भ में)। उसने, उससे, तुमने आदि (सर्वनाम के संदर्भ में)।
2. सर्वनाम के साथ यदि दो कारक चिह्न हों तो उनमें से पहला मिलाकर और दूसरा अलग लिखें।
उदाहरण : उसके लिए, इसमें से, जिसमें से आदि।
3. शब्द के अंतिम वर्ण में हल् चिह्न का प्रयोग नहीं करें, लेकिन अन्य स्थान पर आने वाले वर्ण में यह चिह्न लगाएँ।
उदाहरण : पृथक (पृथक्), वाङ्मय (वाङमय), पश्चात (पश्चात्), उद्घाटन (उदघाटन) आदि।
अपवाद
: उद्धरण या व्याकरणिक संदर्भ में अंतिम वर्ण में हल् चिह्न का प्रयोग
किया जा सकता है। कृपया ध्यान दें कि अभी व्याकरणिक संदर्भ में हल् शब्द के
'ल्' में इस चिह्न का प्रयोग हुआ है।
4. चंद्रबिंदु का प्रयोग करें।
उदाहरण : आँचल (आंचल), बँटवारा (बंटवारा) आदि।
5. 'ख', 'ग', 'ज' और 'फ' में नुक्ता लगाएँ।
उदाहरण : ज़रूरी (जरूरी), फ़र्क (फर्क) आदि।
6. द्वंद्व समास में पदों के बीच हाइफ़न का प्रयोग करें।
उदाहरण : राम-लक्ष्मण, चाल-चलन, हँसी-मज़ाक, लेन-देन, पढ़ना-लिखना, खाना-पीना, खेलना-कूदना आदि।
अपवाद : देखरेख, आजकल।
7. ‘सा’ (बहुवचन रूप ‘से’) से पहले हाइफ़न का प्रयोग करें।
उदाहरण : तुम-सा, चाकू-से तीखे आदि।
8. 'श्री' और 'जी' को शब्दों से अलग लिखें।
उदाहरण : श्री मोहन प्रसाद, मनमोहन जी आदि।
अपवाद : यह नियम 'रामजी चौधरी', 'गीताश्री' जैसे नामों पर लागू नहीं होगा।
9. पूर्वकालिक क्रिया (पहले घटित होने वाली क्रिया) को 'कर' से मिलाकर लिखें।
उदाहरण : उसने मेरी चिट्ठी फाड़कर फेंक दी।
10. अर्धचंद्र का प्रयोग करें।
उदाहरण : मॉल, कॉल आदि।
11. क्रिया रूपों के अंतिम वर्ण 'य' को स्वर रूप में बदलें। इन रूपों में 'य' शब्द का मूल रूप न होकर व्याकरणिक परिवर्तन होता है।
उदाहरण : लिए (लिये), गए (गये), खाए (खाये), गई (गयी) आदि।
12. ऐसे शब्दों के अंतिम वर्ण 'य' को नहीं बदलें जिनमें यह वर्ण शब्द का मूल अंग हो।
उदाहरण : रुपये (रुपए), साये (साए) आदि।
13. अंग्रेज़ी शब्दों का लिप्यंतरण करते समय शब्दांत में दीर्घ 'ई' और 'ऊ' का प्रयोग करें।
उदाहरण : dye – डाई, waterloo – वाटरलू, daddy – डैडी, key – की आदि।
14. तिथि या माह के साथ वर्ष का उल्लेख होने पर अर्धविराम (कॉमा) का प्रयोग करें।
उदाहरण : 15 अगस्त, 2010; मार्च, 2010 आदि।
15. अंग्रेज़ी व अन्य भाषाओं से हिंदी में आए शब्दों का बहुवचन हिंदी व्याकरण के अनुसार बनाएँ।
उदाहरण : वेबसाइटों ('वेबसाइट्स' अमानक प्रयोग है), किताबें ('किताबात' अमानक प्रयोग है) आदि।
16. ऐसे समास नहीं बनाएँ जिनमें शब्द बड़े हो जाते हैं।
उदाहरण : गृह मंत्रालय (गृहमंत्रालय), सूचना मंत्रालय (सूचनामंत्रालय) आदि।
17.
अंग्रेज़ी के शब्द को यथासंभव उसके मूल उच्चारण के अनुसार लिखें। यह नियम
साइकिल, बोतल, बिस्कुट आदि शब्दों पर लागू नहीं होगा क्योंकि ये शब्द हिंदी
में प्रचलित हो चुके हैं।
उदाहरण : अमेरिका (अमरीका), फाइनैंशियल (फाइनेंशियल) आदि।
18. 'बावजूद' के बाद 'भी' नहीं लिखें।
19. 'मद्देनजर' के बाद 'रखते हुए' नहीं लिखें।
20. 'की बजाय' की जगह 'के बजाय' लिखें।
21. संबोधन में अनुस्वार के प्रयोग में एकरूपता का ध्यान रखें। इन दिनों संबोधन में अनुस्वार के प्रयोग को मान्यता मिलती जा रही है। निम्नलिखित उदाहरणों में 'साथियों' और 'साथियो' दोनों सही हैं।
"साथियों, तैयार हो जाओ।"
"साथियो, तैयार हो जाओ।"
20. 'की बजाय' की जगह 'के बजाय' लिखें।
21. संबोधन में अनुस्वार के प्रयोग में एकरूपता का ध्यान रखें। इन दिनों संबोधन में अनुस्वार के प्रयोग को मान्यता मिलती जा रही है। निम्नलिखित उदाहरणों में 'साथियों' और 'साथियो' दोनों सही हैं।
"साथियों, तैयार हो जाओ।"
"साथियो, तैयार हो जाओ।"
22. कोष्ठक में दी गई वर्तनियों का प्रयोग नहीं करें।
दुख (दु:ख)
अंत:करण (अंतकरण)
इंसान (इनसान)
इनकार (इंकार)
नुकसान (नुक्सान)
छह (छ:)
अंतरराष्ट्रीय (अंतर्राष्ट्रीय)
मध्य प्रदेश (मध्यप्रदेश)
आंध्र प्रदेश (आंध्रप्रदेश)
उत्तर प्रदेश (उत्तरप्रदेश)
चिह्न (चिन्ह)
दंपति (दंपती)
द्वंद्व (द्वंद)
श्रीमती (श्रीमति)
यानी (यानि)
अनधिकार (अनाधिकार)
उज्ज्वल (उज्वल)
कॉन्फ़्रेंस (कांफ़्रेंस )
महत्वपूर्ण (महत्त्वपूर्ण)
उपर्युक्त (उपरोक्त)
शय्या (शैया)
दुस्साहस (दु:साहस)
प्रात:काल (प्रातकाल)
कुर्सी (कुरसी)
अहं (अहम्)
गुरु (गुरू)
रुचि (रूचि)
रुपया (रूपया)
करियर (कैरियर)
बीचोबीच (बीचोंबीच)
समाप्तप्राय (समाप्तप्राय:)
प्रात:काल (प्रातकाल)
नि:स्वार्थ (निस्स्वार्थ)
मस्जिद (मसजिद)
इस्लाम (इसलाम)
फ़ॉन्ट (फॉण्ट)
चेक (चैक)
गांधीगीरी (गांधीगिरी)
संन्यास (सन्यास)
व्यावसायिक (व्यवसायिक)
मंत्रिमंडल (मंत्रीमंडल)
आवंटन (आबंटन)
इकट्ठा (इकठ्ठा)
उज्ज्वल (उज्वल)
ईसाई (इसाई)
ऊहापोह (उहापोह)
क्योंकि (क्यूंकि)
केंद्रीय (केंद्रिय)
कनिष्ठ (कनिष्ट)
गीतांजलि (गीतांजली)
तबीयत (तबियत)
त्योहार (त्यौहार)
नूपुर (नुपुर)
प्रामाणिक (प्रमाणिक)
बजाय (बजाए)
मंत्रिपरिषद (मंत्रीपरिषद)
शुरुआत (शुरूआत)
सशक्तीकरण (सशक्तिकरण)
हाउस (हाऊस)
साइबर (साईबर)
ड्राइवर (ड्राईवर)
साइकिल (सायकिल)
वेबसाइट (वेबसाईट)
ईमेल (ई-मेल)
भाई,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद....ये तो वाकई अच्छी मूल जानकारी है...।
आशु
बहुत उपयोगी जानकारी ..
जवाब देंहटाएंमैंने इसे 'मुहावरे ,लोकोक्तियाँ और व्याकरण ' समूह के सदस्यों के साथ साझा किया है .
शुक्रिया सुयश सुप्रभ ..
यह बात तो मुझे हजम नहीं हुई कि कहाँ तो आप संस्कृत को ढोना नहीं चाहते, परन्तु उर्दू को अवश्य लोगों पर लादना चाहते हैं । ऐसा क्यों ?
जवाब देंहटाएंअत्यंत उपयोगी जानकारी है। एक आम गलती कुछ लोग करते हैं कि विराम चिह्नों का प्रयोग अंग्रेजी के अनुसार करते हैं। कई बार समीक्षक सही लिखऩे वालों को गलत बता देता है। जैसे कॉमा के साथ और, या, तथा तो का प्रयोग। इस संबंध में भी यदि नियम का समावेश होता तो अनुवादकों को प्रामाणिकता के साथ अनुसरण करने में आसानी होती। इस विषय पर विवाद की स्थिति में प्रमाण दिया जा सकता है।
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